आईएएस अधिकारी अपनी होशियारी का परिचय सिविल सेवा की प्रतिष्ठित परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत ही दे देते हैं। अगर अपने कार्यकाल में होशियारी की बात करे तो कई ऐसे अधिकारी है जिनकी होशियारी के कारण आज भी ये पद युवाओं के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जहाँ एक ओर आज भी लोग भ्रष्ट अधिकारियों से परेशान रहते है वहीँ भारत में अशोक खेमका और आर्मस्ट्रॉन्ग पामे जैसे अधिकारी आज भी निःस्वार्थ भाव से लोक कल्याणकारी कार्य में लगे हुए है।
●छत्तीसगढ़ के एक 1500 आबादी वाले पिछड़े गाँव में उसका जन्म हुआ।
●उसके पिता एक शिक्षक थे। उसने अपने पिता को मात्र 8 वर्ष की अल्पायु में ही खो दिया। उसकी माता ने अपनी औपचारिक शिक्षा भी पूरा नहीं किया था पर वो एक कुशल गृहिणी और इन सबसे बढ़कर एक माँ थी।
●उसने 12वीं तक की पढाई गांव के सरकारी विद्यालय में ही पूरा किया।
●वह अक्सर अपने पिता के पेंशन लेने सरकारी कार्यालय जाया करता था और वहां के लचर व्यवस्था से उसका मन कुछ बड़ा करने का करता था।
●एक बार जब वो मसूरी घूमने गया तो उसकी इच्छा लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी(IAS ट्रेनिंग अकादमी) में अंदर जाकर देखने की हुई पर गार्ड ने उसे धक्का देकर भगा दिया। उसी समय उसने ठान लिया की वो भी एक आईएएस प्रशिक्षु बनकर एक दिन यहाँ आएगा।
●और उसने अपने इस सपने को अपने राज्य का पहला आईएएस अधिकारी बनकर सच भी किया। इतना ही नहीं उसने अपने जैसे संघर्षरत जरूरतमंद बच्चों के लिए EDUCATION CITY बनाया जहाँ एक ही स्थान पर हर तरह की पढाई की व्यवस्था की गयी।
यह किसी फिल्म की कहानी नहीं बल्कि सच्चाई है 2005 बैच के IAS अधिकारी ओ.पी. चौधरी की।
इन्होंने हिंदी माध्यम के साथ पहले ही प्रयास में मात्र 23 वर्ष की आयु में इस प्रतिष्ठित परीक्षा को उत्तीर्ण किया। इतना ही नहीं इन्हें नक्सल प्रभावित जिला दंतेवाड़ा में अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी राष्ट्रिय सिविल सेवा दिवस(21 अप्रैल)के अवसर पर सम्मानित कर चुके हैं।
इन्होंने 25 अगस्त 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया और विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से मैदान में आये पर वे जीत नहीं सके।
Comments
Post a Comment