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क्या आपने किसी को अपने बुरे कर्मों के कारण बर्बाद होते देखा है?

मेरे एक जीजा है। जिनकी चमड़ी इतनी मोटी है कि लोग कितना भी गाली दे, जूते मारे ,बेज़्ज़त करे उनको कोई फर्क नही पड़ता । वो आपने कुकर्मो के कारण आज बिखारी से भी बदतर जिन्दगी जी रहे है ।

जीजा थोड़े दूर के है । मेरे दादाजी दो भाई थे, तो दूसरे भाई के पुत्री का दामाद मेरे जीजा है ।

एक समय था जब उनके पास सब कुछ था रुपया-पैसा, जमीन , रोड किनारे महंगा घर । ये सब उनको ज्यायदाद के बंटवारे में मिला था । ये सब उनका कमाया हुआ नही था । बंटवारा इसलिये हुआ था क्योंकि जीजा कमाते तो थे नही, नोकरी भी कोई था नही , तो घर चलाने के लिये पैसे की जरूरत आन पड़ी । अब पैसे कहां से आए । फिर अपने पिता जी के सम्पति में हिस्सा मांगने लगे ,कहने लगे जायदाद बांट दो । पिता जी कहने लगे मेरे जीते जी नही बंटेगा । फिर क्या रोज रोज कहा सुनी होने लगी । एक दिन जीजाजी पिता जी में बहुत बहस हुआ गुस्से में आके पिता जी को उठा के पटक दिए । भीड़ इकठ्ठा हो गया , लोग तरह तरह के बातें बनाने लगे । पिता जी भी सोचने लगे ऐसे सांप को पालने से अच्छा है सम्पति देकर विदा कर दो । दे दिए हिस्सा बराबर बराबर अपने तीनो पुत्रो को । बाकी के दोनों लड़को में एक अपना व्यापार(पिता जी का ही) करते है और दूसरा साइंटिस्ट है । दोनो लड़के अच्छे है । बस मेरे जीजा जी थोड़ा राक्षस है ।

अब सम्पति के बंटवारे के बाद बात आती है अपने काम धंधे की ,अब क्या काम किया जाय । तो जमीन बिक्री के ब्रोकर का काम करना शुरू करते है । फिर कुछ जमीन वगेरा बेचे फिर अच्छा खासा कमा लिए ।

कुछ समय के बाद हुआ ये की इनका पैसे डूबने लगा । घाटा लगने लगा । जैसे की जमीन खरीद लेते थे ज्यादा दाम पे और जमीन उतने में बिकता नही था । फिर कभी बयाना डूबने लगा ।इस तरह से घाटा लगने लगा। फिर उस घाटे को पूरा करने में लोगो से कर्ज लेने लगे । कर्जदारो रोज गाली बात सुनाकर चले जाते ।दीदी को ये सब अच्छा नही लगता था । तो उन्होंने पैसा लौटाने के लिये जीजा से रोज लड़ाई करते ।

बेज़्ज़ती सुनने के बाद तांग आकर उनका पैसा चुकाने का समय आगया । फिर कर्जदारो के मूलधन और ब्याज को चुकाने में ज़मीन बेचना पड़ गया । अंत मे बचा सिर्फ एक घर और एक कठा जमीन ।

अब वो एक नया खुरापाती काम शुरू कर दिए । अपने पूरे खानदान के (जो थोड़े दूर के थे वो भी जो पास के थे वो भी ) घर घूमना शुरू कर दिए । पहले जो पास के थे उनके यहां गए । उनसे बातचीत किये । अपनी गौरवगाथा सुनाते की कैसे हमने लाल किला बेचवाये , ताज महल भी बेचने वाले है । मंगल पे भी प्लाट लेने वाले है । कुछ एसे ही मायावी बातें करते । अपनी बातों से ही गोली चलाते ।

बातों बातों में रिस्तेदार कहने लगे -

रिश्तेदार- दामाद/नेमहान जी आप तो जमीन का कारोबार करते है कोई जमीन है तो बताते शहर में । वहाँ पे घर बनाते बच्चों को पढ़ाते ।

दामाद जी- जमीन तो बहुत बढ़िया है । आपके लायक ही है ।कुछ पैसा दे दीजिए बयाना दे देंगे जमीन वाले को । बाकी के पैसा जमीन लिखा पढ़ी के समय देंगे ।

अपना आदमी है रिस्ते का । भरोसा कर के दे देते थे लोग ।

फिर एक बार 40 50 हजार लेते फिर उड़ जाते । फिर कभी उनके यहां लैंड नही करते ।

किसी किसी को तो जमीन दिखा देते थे,कागज भी दिखा देते थे और बयाना ले लेते । बाद में पता चलता जमीन किसी और का हैं और कागज भी नकली । गाँव का आदमी अपना आदमी समझ के विस्वास कर लेता था । उसी विस्वास का जीजा जी अमृतपान कर बैठते थे ।

किसी किसी को कहते पैसा दीजिये 6% ब्याज देंगे तो किसी को कहते 10% ब्याज देंगे । फिर पैसे लेते और अंतर्ध्यान हो जाते । बेचारो को ब्याज क्या मूलधन के लिये भी तरसना पड़ जाता । अब किसी को बेटी की शादी करनी है किसी को खेत मे बीज बोना है किसी को इलाज़ करवाना है । अब लोग तड़प रहे है अपने पैसे के लिये ।

अब जितने लोगो का वो पैसा ले कर भाग चले थे वो सब आय दिन आकर घर पे गाली देते ,चार बात सुना कर जाते । अंत मे अपना घर भी गिरवी रखना पड़ा और एक कठा जमीन बेचना पड़ा । फिर उन पैसे से कुछ लोगो का पैसा वापस किये ।

इतना बद्दुआ पड़ चुका था उनको की कोई जमीन बिक्री हो ही नही रहा था। काम पूरा चौपट था ।

इतना वो बदनाम हो चुके थे कि कोई उनसे सौदा करता ही नही था की कहि ये फ्रॉड ना कर ले ।

फिर इनका काम धंधा भी खत्म, इज़्ज़त भी खत्म ।

लोग आते है ,सुनाते है चार बात चले जाते । हाथी से भी मोटी चमड़ी होने के कारण कोई फर्क नही पड़ता इनको । दीदी को बोलते है दो पैसा कमाने के लिये झूठ तो बोलना ही पड़ता है ।

लेकिन ये यह नही जानते कि किसी को रुला कर दो पैसे कमाने वाला कभी सुखी नही रह सकता ।

आज हालत इनका ऐसा है कि कोई सादी पार्टी में उनको पूछता भी नही । वो जाते भी है किसी सादी में तो चुप चाप किसी कोने में बैठे रहते है सर झुकाए झूठी मुस्कान के साथ ।

Source :Sonu Kumar

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